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बुधवार, 30 सितंबर 2015

सिहिर सिहिर हवाएं




सांझ के बाद
हम निकले घूमने खेत ,
चाॅद खिलकर
चाॅदनी बिखेरता,
तारे फलक पर
टिमटिमाटे हुए ,
लहलहाती धान की फसल,
चारो ओर धानी वातावरण ,
झिंगुर की अनवरत आवाजें,
कूदते फांदते हुए
मेंढकों का ट्र्र्ट्र्र्,
और उस समय को
मनभावन बनाती हुई,
मधुर झोंको के साथ
बह रही सिहिर सिहिर हवााएं।

भारतीय राजनीति की आज की हेलन


भारतीय राजनीति की आज की हेलन


Sanjay Dwivedy की फ़ोटो.
Sanjay Dwivedy
आजकल एक टीवी सीरियल आ रहा है 'अशोका', काफ़ी अच्छा धारावाहिक है जिसमे चंद्रगुप्त का पौत्र एवं बिंदुसार का पुत्र, अशोक के जीवन का चरित्र चित्रण किया गया है।
अशोक की माता धर्मा एक धर्मपरायण और कर्तव्यनिषठ ब्राह्मण स्त्री है, जो अशोक को आदर्श, सही ग़लत, न्याय- अन्याय का बोध कराते हुए कर्तव्य के पथ पर चलने की प्रेरणा देती रहती है। उस समय भी यूनानी और खुरासनी पूरी साज़िशें करते हैं सीधे साधे भारत पुत्र अशोक के खिलाफ। इसमें एक राजमाता हेलेना का चरित्र है जो यूनानी है और चंद्रगुप्त से विवाह के पश्चात्, जो रानी बनी और बाद में जिन्हें राजमाता का दर्जा मिला है और अपनी पूरी जीवन मगध में गुज़ारने के बावजूद मगध को कभी दिल से नहीं अपना सकी और इसके खिलाफ साजिशे ही करती रहतीं हैं। इनके मन में एक सपना है िक अपने पुत्र को मगध के सिंहासन पर देखना चाहती हैं। इरादे इतने ख़तरनाक कि अपना मक़सद प्राप्त करने के लिये, अपने पुत्र की गर्दन भी काट सकती है। इनकी साज़िशों की थाह किसी भी आम इंसान को नहीं मिलती, सिर्फ़ चाणकय के अलावा, जो कि चतुर राजनैतिज्ञ एवं दूरदर्शी था, जो मौर्य वंश का संस्थापक और सरंक्षक भी था और जिसकी प्रखर बुद्धि एवं विद्वता की वजह से ही मगध सुरक्षित रह पाया वरना बहुत पहले ही इनकी साज़िशों का शिकार हो गया होता ।
बात चाहे दो हज़ार वर्ष पुरानी हो या अभी हो ज़्यादा कुछ नहीं बदला है। आज भी हमारे पास एक यूनानी हैं, सोनिया जो कि माफ़िया के जन्मदाता देश एवं पोप का आशीर्वाद लेकर इटली से आई हैं। राजीव गांधी से विवाह के पश्चात इस देश की कहने के लिये रानी तो नहीं, पर इससे कम भी नहीं और आजकल राजमाता हैसियत रखती हैं, जो कि देश पर सबसे ज़्यादा सालों तक शासन करने वाली पार्टी की अध्यक्षा है और जो देश की सबसे ज़्यादा पावरफुल महिला है लेकिन वो इस देश को कभी दिल से अपना नहीं पाई और इसे जमकर लूटने के अलावा कुछ नहीं किया। इनके मन में भी अपने निकम्मे और कमअक्ल पुत्र को किसी भी तरह से देश की सत्ता के सर्वोच्च शिखर पर देखना चाहती है जिसके लिये किसी भी हद तक जा सकती है, पर इस बार हमारे पास कोइ चाणक्य नहीं है। ध्यान से देखिये और फिर सोचिये क्या आपको रानी हेलेना में सोनिया की झलक नहीं दिखाई देती...

एक प्रतिक्रिया उक्त पोस्ट पर :

वर्तमान हेलन(सेलुकस की बेटी ) की साजिशें किसी से छिपी नहीं हैं। दो हज़ार वर्ष पहले की हेलन तो कुछ समझदार थी पर वर्तमान हेलन बौद्धिक दृष्टि से पूरी दिवालिया  है,उसका पुत्र इस दिवालयेपन में अपनी हेलन माँ से  चार कदम और आगे है। समझ से बाहर की बात तो ये है ,डॉ.करण सिंह सरीखे भारतीय दर्शन के उद्भट विद्वान होते हुए भी इस हैलन  के मातहत काम कैसे कर रहें हैं।

भारत में चाणक्य बुद्धि के एक और महानुभाव हैं,जो पंडित नेहरू से लेकर उस वंश की सारी कहानी अच्छी तरह जानते हैं। वो हेलन और उस के बेटे को भी ब-खूबी समझते हैं और उनका नाम है श्री सुब्रामनियम स्वामी।

भारतीय राजनीति की आज की हेलन   

प्रखर राष्ट्रवादी नरेंद्र दामोदर मोदी भारतधर्मी समाज का नेतृत्व चाणक्य बुद्धि से ही कर रहें हैं। 

कल तक जो इसे ला एंड आर्डर प्रॉब्लम मानते थे आज उन्हें भी ब्रह्म ज्ञान हो गया है वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले के बाद।

सेन होज़े (सिलिकॉन वैली )में मोदी जी के उदगार के कुछ अंश :

इक्कीसवीं सदी हिन्दुस्तान की सदी है ये बदलाव आलमी सोच में 'मोदी,मोदी ,मोदी 'कहने से नहीं आया सवा अरब लोगों के संकल्प से आया है। आज ऐसा वक्त आया है ,दुनिया हिन्दुस्तान से जुड़ने के लिए   लालायित हो रही  है।ये जो विश्वास का वातावरण पैदा हुआ है यह हिन्दुस्तान को नै ऊँचाइयों  तक पहुंचाएगा।  जो हिन्दुस्तान में बैठे हिन्दुस्तान देखते हैं उनसे ज्यादा बारीकी से हिन्दुस्तान आपको दिखाई देता है।

मैंने जो वायदा किया था इसका मैं पूरी तरह पालन कर रहा हूँ। मैं दिन रात कड़ी मेहनत कर रहा हूँ। आज १८ महीने बाद मुझे आपका सर्टिफिकेट चाहिए। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ हम जिएंगे तो भी देश के लिए और मरेंगे तो भी देश के लिए। मेरा विश्वास है देश आगे बढ़ेगा। मेरा देश जवान है ,६५ प्रतिशत जनसंख्या जिस देश की ३५ साल से कम उम्र की हो वह देश दुनिया में क्या नहीं कर सकता है।

कल भारत उपनिषद  के लिए जाना जाता था आज उपग्रह के लिए जाना जाता है। तकरीबन १७० विभागों में आज भारत ने स्पेस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।

आज गरीब से गरीब का बैंक खाता खुल गया। प्रधान मंत्री जनगण योजना के तहत १८ करोड़ एकाउंट ज़ीरो अमाउंट से खुल गए हैं। इन अकाऊंटों में आज ३२ करोड़ से ज्यादा रुपया मेरे देश के गरीबों ने आगे बढ़के खुद जमा करवाया है सौ सौ पचास की राशि जमा करके।

मैं गऱीबों की अमीरी देखना चाहता हूँ।

जनगण -आधार- मोबाइल (JAM) योजना इसमें मदद करेगी ,भ्रष्टाचार  भी कम करेगी।मैं किसान की जमीन का हेल्थ कार्ड निकालने चला हूँ। आइन्दा किसान को नीम कोडिंग वाला यूरिया मिलेगा। अभी तक यह रासायनिक कारखानों में चला जाता था।

अपने जन्म के बाद भी आज संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद की परिभाषा तय नहीं कर पाया है। एक बार ब्लेक एंड वाइट में तय हो जाना चाहिए कि टेररिज़्म है क्या ?आतंकवाद आतंकवाद होता है गुड और बेड टेररिज़्म नहीं होता। ये दुनिया के किसी भी देश में जा सकता है। कल तक जो इसे ला एंड आर्डर प्रॉब्लम मानते थे आज उन्हें भी ब्रह्म ज्ञान हो गया है वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले के बाद।

इक्कीसवीं सदी को आतंकवाद के कलंक से बचाना होगा।

    



मंगलवार, 29 सितंबर 2015

मोदी ने 'तकनीक के मक्का' को फतह कर लिया

झूठबोलकर देश को कलंकित करने में कांग्रेस केजर -वाल  की माँ है या फिर ....

उस वेला जबकि पाकिस्तान का एक नामचीन अखबार भी बे -लाग होकर सच को सच कह रहा है नरेंद्र दामोदर मोदी को हीरो और शरीफ को ज़ीरो कह रहा है ये अराजकमल केजरवाल कहते हैं मोदी  हाथ में कटोरा लेकर विदेशों में भीख मांग रहे हैं।

दा नेशन अखबार कहता है मोदी जहां भी जाते हैं सबको सम्मोहित कर लेते हैं अपनी वाक्माधुरी से ,फिर चाहें वह  देश  जापन हो या ऑस्ट्रेलिया और अमरीका। अपने शरीफ साहब अपनी बात तक ठीक से नहीं कह पाते।

इधर ये असत्यानन्द केजरवाल मोदी को सीख देते हुए कहते हैं पहले मेक  इंडिआ की बात करो  मेक इन इंडिआ तो अपने आप हो जाएगा।

आप जैसे पाकिस्तान विचार धारा  से भी गए बीते लोग यदि इस देश की जनता द्वारा  चुनाव पत्र द्वारा  विदा कर दिए जाए तो ये काम पलक झपकते ही हो जाए। काठ की हंडिया एक ही मर्तबा चढ़ती है केजर।

झूठ बोलने और देश को कलंकित करने में कौन किससे आगे है "आप " और कांग्रेस में हमें भी ठीक से नहीं मालूम। कांग्रेस 'आप 'की माँ है या आप उसकी अगली पीढ़ी ?

https://www.youtube.com/watch?v=17HIk6bG804

PM Modi's speech at the Indian Community reception at SAP Centre San Jose, California


http://publication.samachar.com/topstorytopmast.php?sify_url=http://navbharattimes.indiatimes.com/business/business-news/PM-Narendra-Modi-conquers-Silicon-Valley

https://www.youtube.com/watch?v=3wco-84rnq8

http://navbharattimes.indiatimes.com/metro/delhi/politics/statekejriwal-questions-modis-foreign-visits/articleshow/49153490.cms

मोदी ने 'फतह 'की सिलिकॉन वैली :अमरीकी मीडिया

प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के सिलिकॉन वैली में जोरदार स्वागत और तकनीकी दिग्गजों से मुलाक़ात को अमरीकी मीडिया ने भी जमकर सराहा है। भारतीय अमरीकियों की ओर से मोदी का शानदार ग्रैंड रिसेप्शन किये जाने पर अमरीका के प्रतिष्ठित अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि मोदी ने 'तकनीक के मक्का' को फतह कर लिया।

वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा मोदी की सिलिकॉन यात्रा किसी भी भारतीय नेता की गत बीस सालों में पहली यात्रा है। 'सिलिकॉन वैली 'दुनिया के देशों के लिए आज एक ज़रूरी डेस्टिनेशन बन गया है।

गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियां भारत में अपना कारोबार जमाने के होड़ में हैं।

     

॥ मधुराष्टकम् ॥


॥ मधुराष्टकम् ॥





shri krishna bhajan........madhurastakam ...adharam madhuram

  • 1 year ago
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adaram madhuram...............





अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं ।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥१॥
(Krishna's) lips are sweet, (his) face is sweet, (his) eyes are sweet and (his) smile is sweet.
(Krishna's) heart is sweet and (his) walk is sweet. Everything is sweet about the lord of sweetness.
~~~~~~~~
वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरं ।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥२॥
(Krishna's) words are sweet, (his) character is sweet, (his) garments are sweet and (his) posture is sweet.
(Krishna's) movements are sweet and (his) wandering is sweet. Everything is sweet about the lord of sweetness.
~~~~~~~~
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥३॥
(Krishna's) flute-playing is sweet, (his) foot-dust is sweet, (his) hands are sweet and (his) feet are sweet.
(Krishna's) dancing is sweet and (his) company is sweet. Everything is sweet about the lord of sweetness.
~~~~~~~~
गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरं ।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥४॥
(Krishna's) song is sweet, (his) drinking is sweet, (his) eating is sweet and (his)sleeping are sweet.
(Krishna's) beautiful form is sweet and (his) 'tilak' is sweet. Everything is sweet about the lord of sweetness.
~~~~~~~~
करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरं ।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥५॥
(Krishna's) deeds are sweet, (his) conquest is sweet, (his) stealing is sweet and (his) love-play is sweet.
(Krishna's) exuberance is sweet and (his) relaxation is sweet. Everything is sweet about the lord of sweetness.
~~~~~~~~
गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा ।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥६॥
(Krishna's) gunja-berry necklace is sweet, (his) garland is sweet, (his) Yamuna river is sweet and (his) Yamuna's waves are sweet.
(Krishna's) Yamuna's water is sweet and (his) lotus flowers are sweet. Everything is sweet about the lord of sweetness.
~~~~~~~~
गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरं।
दृष्टं मधुरं सृष्टं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥७॥
(Krishna's) 'gopis' are sweet, (his) frolicking is sweet, (his) union is sweet and (his) deliverance is sweet.
(Krishna's) glances are sweet and (his) etiquette is sweet. Everything is sweet about the lord of sweetness.
~~~~~~~~
गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा ।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥८॥
(Krishna's) 'gopas' are sweet, (his) cows are sweet, (his) herding stick is sweet and (his) creation is sweet.
(Krishna's) breaking is sweet and (his) bringing to fruition is sweet. Everything is sweet about the lord of sweetness.
~~~~~~~~

https://www.youtube.com/watch?v=7Y5ZxWJqS68&list=PLdSOMffl4lHO82MpV0kLLE3ljmoORKd_t

Adharam madhuram vijay yesudas - Madhurashtakam

Vishnu/Krishna Stuti

सोमवार, 28 सितंबर 2015

इन कांग्रेसियों को तो देखने से भी पाप लगता है,जो मोदी जी के अपनी माँ के प्रति उद्बोधन को भी नौटंकी बतलाते हैं

इन्हें तो देखने से भी पाप लगता है

उधर  संयुक्त राष्ट्र में  आतंकवाद के मुद्दे पे दो टूक बात कहने के बाद जिसमें मोदी जी ने साफ़ कहा आतंकवाद गुड टेररिज़्म और बेड टेररिज़्म के खानों में बाँट के नहीं देखा जा सकता ,जब मोदी जी आप्रवासी भारतीयों को सम्बोधित कर रहे थे तो इधर अपने राष्ट्र भारत में कांग्रेसी चिरकुट स्यापा कर रहे हैं।

पांच पांडव मोदी की सभा में प्रतीक के तौर पर खड़े हो गए मोदी के ये कहने पर कि देश पहले है रिश्तेदार बाद में आप अपने रिश्तेदारों को पैसा भेजते हैं वह ठीक है लेकिन आज आपके निवेश की  देश को ज्यादा ज़रुरत है। देश खुशहाल होगा तो रिश्तेदार तो आप से आप खुशहाल हो जायेंगें।

स्वाभाविक तौर पर बात राजनीतिक भ्रष्टाचार  की ओर  मुड़ गई जिसके चलते देश में कोई निवेश करने को तैयार नहीं था। मनमोहन सिंह ने देश को ऊर्जाहीन बना दिया था। भारतीयों को खुद को भारतीय कहने बूझने में शर्म आने लगी थी ,अब जब कि देश ऊर्जा से भरा खड़ा हो गया है अनिवासी शान से सिरउठाकर मोदी के लिए पलक पांवड़े बिछा रहे हैं। मोदी की एक सामान्य सी व्यंग्योक्ति को कांग्रेसी माँ की गाली समझ रहे हैं। उन्होंने सिर्फ इतना कहा था राजनीति में पहले नेता भ्रष्टाचार  करता है फिर पुत्र और पुत्रियां। दामाद तक पहुँचते पहुँचते तो इसे पंख लग जाते हैं।

हालांकि मोदी जी ने गलत कुछ नहीं कहा  है लेकिन ये लोग अहर्निश मोदी और भाजपा को कोस रहे हैं।देश को बदनाम कर रहे हैं ये लोग।  कांग्रेस में आज सिर्फ एक व्यक्ति ऐसा बचा है जिसे देखकर आज भी श्रद्धा होती है वह हैं डॉ. करण सिंह शेष के सिर  से तो आजकल जूता भी शर्माता है। इन कांग्रेसियों को  तो देखने से भी पाप लगता है,जो मोदी जी के अपनी  माँ के प्रति उद्बोधन को भी  नौटंकी बतलाते हैं। ये सिर्फ चर्च की फादर और जैविक  माँ को जानते हैं। इसलिए बेटा बेटी कहे जाने पर ये भड़क जाते हैं।

गत चुनाव की एक सभा में पूछे गए प्रश्न पर मोदी ने कहा था कि प्रियंका तो  मेरी बेटी के समान  है इस पर उसने भड़कते हुए कहा था कि वह सिर्फ राजीव गांधी की बेटी है. उसके कथन में मोदी के प्रति हिकारत का भाव था। जिनके संस्कार में जैविक रिश्ता ही सबसे बड़ा रिश्ता होता है वह पूरे संसार को कुटुम्बवत  मानने के भारतीय संस्कार को क्या समझेंगे।

इसलिए कांग्रेसी ये सारा स्यापा कर रहे हैं।

PM Modi meets several hundred Indian-Americans in New York

NEW YORK: Prime Minister Narendra Modi would be addressing more than 18,500 Indian-Americans in the Silicon Valley on Sunday, but during his three nights of stay here he is believed to have met at least a few hundreds of them, if the steady stream of visitors waiting in the hotel lobby and pictures posted on the social media is any indication

In fact, he would have met at least a hundred people and posed for picture on the first night itself when he arrived after a long flight from Delhi after a short stopover in Dublin, Ireland. 

As several hundred people waited outside the hotel raising slogans amidst beating of drums, Modi came out of his secret service driven black SUV to meet his supporters. 

Once inside the Waldrof Astoria, a few dozen eminent Indian-Americans were waiting for inside the lobby. As he personally recognised them, he called them to his meeting room. He met the group in three batches. 

One of them was with those who were involved in organising a successful reception for him last September at the Madison Square Garden, which was attended by a record 20,000 people.

READ ALSO: Reform security council to maintain its credibility, PM Modi urges at UN meet

Complete coverage: PM Modi's US visit 

Modi, who before becoming Gujarat chief minister had extensively travelled across the US, appears to know many of them personally and enquired about their family members joking with them occasionally. 

He also met another group of Indian-Americans the same night to take inputs from them on various policy issues related to India-US relationship. One of the community leaders said on condition of anonymity that this was about defence. 

On Wednesday night he also met Aseem Chhabra of Hindu American Foundation, who presented Modi with a welcome letter signed by over 200 leading academics in engineering, liberal arts, and the sciences. "Kem chho Aseembhai?" asked the Prime Minister in Gujarati, seeking his well-being. 

In all these meetings, Modi posed for photographs with each one of them. Both on Thursday and Friday, there was a steady stream of visitors waiting for him to meet in between his various official engagement. Some time, people waited for hours to meet him, very few went disappointed. 

For instance, on Thursday evening soon after his dinner with CEOs of Fortune 500 companies, which was the last official engagement of the day-long hectic events, Modi was energetic enough to meet a group of over 50 members of the Overseas Friends of BJP-USA led by its president Chandrakant Patel. 

OFBJP-USA, which had worked hard in his election campaign, was disappointed that he had not given him time last year. Not this year though. OFBJP members flew in from various parts of the US. Modi listened patiently from them their issues and concerns and then posed for pictures with them, which soon became public on the social media. 

A steady stream of visitors was seen in the hotel lobby on Friday too - the day when he spent his time at the UN and meeting various world leaders. Among those included a group of 20 Patels, who identified them as members of the Sardar Patel Group USA Canada. 

"We submitted a signed memorandum to the Prime Minister," said Alpesh Patel after the meeting. The memorandum urged the Prime Minister to take action against those responsible for police brutalities and provide reservation in jobs on the basis of economic status. "We were supposed to meet him for five minutes, but he spent 15 minutes with us," he said. 

Late in the evening, one of his old acquaintances turned up at the hotel unannounced. By that time the Prime Minister had left for a private dinner meeting. 

"I have sent my (business) card. I am sure, I will get a call to meet him on Monday," the community leader said requesting that his name not be published. "He is a people's Prime Minister. This is how he works," the New Jersey based community leader said. 

"Don't you get tired Narendra Bhai meeting so many people," asked his old-time friend Bharat Barai from Chicago on Wednesday night itself when the Prime Minister met about 100 people at the hotel. 

"Modi smiled and said this is part of my job," Barai said.

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रविवार, 27 सितंबर 2015

उसका बदन छूकर





उसका बदन छूकर कोई बयार आएगा

फिर खामोश आॅखों में प्यार आएगा



ओ पराई चीज है उसे ेमत ही ले तू

बदनामी होगी अगर चैकीदार आएगा



यूं न देख आॅखों में आॅखें डालकर

उसने तीर छोड़ा तो दिल के पार आएगा



इतना जुल्म न करो ओ महलों वालों

हिसाब लेने मजलूमों का सरदार आएगा



जो जाहील है आवाम भी उसी की मुरीद है

जो पिछली बार लूटा वही सरकार आएगा


शनिवार, 26 सितंबर 2015

आउल बाबा की बान न जाय ,मूते तबही टांग उठाय

कहाँ से आता है व्यंग्य विनोद

जब राष्ट्रीय निर्मिति को कुछ तत्त्वों से ख़तरा पैदा होता है,न्यायप्रियता के कुछ लोग पंख कुतरने लगते हैं तब उसके प्रतिकार में ,उस क्रिया बल ,के उत्तर अंश रूप में एक असम्मतबल पैदा होता है। सगोत्रीय ही होता है यह क्रिया यानी सम्मत बल का.इसीलिए इसे  विरोधी या असम्मत बल कहा गया है । यही असम्मत बल व्यंग्य विनोद है। व्यंग्य कोई स्वतन्त्र विधा नहीं है साहित्य की. यह कथा ,कहानी,व्यष्टि की  करनी के कंधों में चढ़के आता है। आरूढ़ विधा है व्यंग्य विनोद। जो देखते ही देखते समष्टि बन जाता है। सर्वहितकारी बन जाता है। राष्ट्र के प्रति ,न्यायप्रियता के प्रति करुणा से पैदा होता है वयंग्य विनोद।

इन दिनों एक अभिनव  शब्द चलन में आया है आउलबाबा(पूर्व में मंदमति ,मंदबुद्धि बालक ) -अब इसके पीछे की कथा ये है ये बाबा ऐसी जगहों पर पहुँचते हैं जहां इन्हें बुलाया नहीं जाता। और वह भी कार्यक्रम समाप्त होने के बाद। एक बान  सी हो गई है इनकी पार्टी को इसकी। 

आउल बाबा की बान  न जाय ,मूते  तबही टांग उठाय  

पूर्व में  ऐसा ही एक शब्द खूब चल निकला  था -बिजूका।

दिखाऊ  तेिहल -जो खेत की रक्षा तो क्या कर सके उलटे इसके सर पे पक्षी आवें और बीट (Animal droppings ) कर जावें। इन दिनों भाषा बड़ी सूक्ष्म होती जा रही है। किसी को अपशब्द न कहकर अब सेकुलर कह दिया जाता है।

स्पष्ट कर देवें हम किसी के विरोधी नहीं हैं हम राष्ट्र समर्थक है और जब भी हमारी राष्ट्रीय अस्मिता को ,राष्ट्रीयनिर्मिति के तत्वों पे आंच आएगी ऐसा स्वत :स्फूर्त होता रहेगा। 

तेरे जिस्म में रुह कितना आजाद है हमसे पूछ


तेरे जिस्म में रुह कितना आजाद है हमसे पूछ
किसी मसले का क्या निजाद है हमसे पूछ

तुझे क्यों लगा कि उसका एहसान है तेरा होना
तेरा होकर जीना उसका मफाद है हमसे पूछ

वह कह देता है दिल की बात चेहरे पे उतार कर
मेरे घर के आइने में भी आवाज है हमसे पूछ

उससे जुदा होकर जीना फरेब है मेरा, सुन
वह शख्स अब भी दिल में आबाद है हमसे पूछ

वह जहाॅ चाहे रहे, जीए आदमी नहीं है वह
जहाॅ में परिंदा आजाद है हर सिम्त हमसे पूछ

अपनाया खिलौने की तरह तोड़ा खिलौने की तरह
कम्बख्त इश्क भी जरुरतों का इजाद है हमसे पूछ

शुक्रवार, 25 सितंबर 2015

पुतलों के पीछे

पुतलों के पीछे 

दिल्ली के रामलीला मैदान में रावण दहन  के  अवसर पर  प्रतिवर्ष आयोजित रामलीला में हर बरस प्रधानमन्त्री को शोभाप्रद  निमंत्रण भेजा जाता है। इस बरस स्वाभाविक तौर पर दिल्ली रामलीला कमिटी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शोभाप्रद पद हेतु निमंत्रण भेजना स्वीकार किया है। यह एक सहज स्वाभाविक बात थी जिसे मुद्दा बनाके दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के पूर्वाध्यक्ष ने जो इस रामलीला समिति से संलग्न रहे आएं हैं इस्तीफा दे दिया है। उनका आग्रह था हमेशा की तरह इस बरस भी शोभाप्रद निमंत्रण सोनिया मायनो ,मंदमति और चरनन के दास मनमोहन को भेजा जाए।

हमें इस पर भी कोई एतराज नहीं हैं उन्हें भी बुलाया जाए और पुतलों के पीछे खड़ा किया जाए। अब क्योंकि कांग्रेस विपक्ष का पद भी लोकसभा में  न पा सकी है इसलिए यही उचित है विपक्ष का भी पद हासिल होता तो पुतलों के आगे खड़े कर देते।

ये कांग्रेस के कैसे हितेषी हैं  जो मायनो के अपमान का कोई मौक़ा नहीं चूकना चाहते ,पहले मनीष तिवारी और अब जयप्रकाश अग्रवाल (संरक्षक रामलीला ) . सोनिया मायनो तो यहां की परम्परा से वाकिफ नहीं है ये लोग सब कुछ जानते बूझते उनका अपमान करवाने पर आमादा है। उनकी तो नादानी सिर्फ इतनी है उनका आधार इटली में है और भवन वह भारत  में  बनाना चाहती हैं। ये तमाम लोग परदे के पीछे की बात यह है अब उन्हें हटाना चाहते हैं लेकिन साफ़ साफ़ कुछ नहीं कहते। और ये इतने निर्बुद्ध कैसे हो गए जो ये नहीं जानते कि राम लीला राम का मंच है वहां जो भी आता है उन्हें प्रणाम करने आता है मोदी भी उनका आशीष लेने ही आयेंगे।

बिना सोनिया को पूछे वह उनका नाम क्यों आगे करना चाहतें हैं कहीं मनीषतिवारी ने तो इन्हें नहीं सिखाया हो सकता है भोपाली बाज़ीगर इसके पीछे हों।

http://www.jagran.com/delhi/new-delhi-city-congress-presidents-resignation-on-ramleela-dispute-12939279.html

The question is: where is Rahul Gandhi? If indeed he is in the ski resort of Aspen, one of the wealthiest real estate destinations in the US, what is he doing? If he is on a private visit, why would the Congress not disclose that?

ये प्राईवेट मामला क्या होता है ?

जब कभी भी आउल बाबा और मायनो टोनिया की बात होती है सभी टोनियावी चिरकुट कहते हैं -ये बाबा और मम्मी जी का प्राइवेट मामला है। चाहे फिर बात इलाज़ से जुड़ी  हो या मटरगश्ती से ,या फिर तफरी से।आज की तारीख में बाबा  का अतापता ,बाबा के वेअरअबाउट्स को लेकर बड़ा भ्रम  फैलाया जा रहा है। हमने अच्छा नहीं लग रहा है ये सब। कुछ प्रवक्ता किस्म के लोग जिन्हें चाकर कहा जाता है  नाहक बिला वजह झूठ बोल रहे हैं, जिसकी बिलकुल आवश्यकता नहीं हैं। साफ़ साफ़ कहो अपने बच्चों से मिलने गए हैं।झूठ के पाँव नहीं होते एक को छिपाने के लिए भैया फिर दूसरा बोलना पड़ता है। कहा जा रहा है बाबा एक आलमी कान्फरेन्स में शिरकत करने अमरीका गए हैं। यहां फिलवक्त ऐसी कोई कांफ्रेंस नहीं है। 

बाबा अपने गुरु भोपाली बाज़ीगर से ही कुछ सीख लें। आपने ने प्रेम भी किया प्रेमविवाह भी। सबने एप्रीशिएट  किया  मुबारक बाद दी। बाबा क्यों वंचित रहें। भले दैहिक संबंधों की पूर्ती करने कहीं गए हों। अभिसार यहां भारत में भी वर्जित नहीं है उसके लिए अमरीका जाने की कहाँ ज़रुरत है।  



The annual event got over in July; so where is Rahul Gandhi?
By Sujeet Rajan
Rahul-Gandhi
NEW YORK: The Congress Party is lying about Rahul Gandhi’s whereabouts in the United States, if indeed he is here in the country on a visit: the vice-president of the opposition party in India, the Indian National Congress, is not listed for any global meet or the ‘Weekend with Charlie Rose’ conference in Aspen, Colorado, located in the Rocky Mountains.
The Press Trust of India reported earlier today that Gandhi had left India to attend the ‘Weekend with Charlie Rose’ conference at Aspen, Colorado, as per Congress spokesperson Randeep Singh Surjewala.
“Rahul Gandhi is travelling to Aspen, US on a short visit to attend a conference. ‘Weekend with Charlie Rose’ is a conference where thought leaders from different walks of life like politics, finance, technology, media, medicine, sports etc. gather to deliberate on multiple issues,” Surjewala was quoted as saying by PTI.
Surjewala was responding to the Bharatiya Janata Party’s claims that Congress was forced to send Gandhi away from the country as their allies want him out of Bihar poll campaign.
BJP spokesman Sambit Patra took a dig at Rahul Gandhi over his visit to the US, saying it may be a “forced vacation” as, according to him, allies JD(U) and RJD wanted him away, said reports.
“It appears that the feedback the leaders of grand alliance got from Bihar made them call Congress to send him on a forced vacation because his stay anywhere near Bihar is going to harm their electoral chances,” Patra was quoted as saying.
Calls to The Aspen Institute, which has its headquarters in Washington, DC, but holds events also in Aspen, New York City and San Francisco throughout the year, revealed that the annual ‘Weekend with Charlie Rose’ conference got over in the first week of July this year.
Since its inception, in 2005, the festival takes place between the dates of June 25-July 4, according to Karen Peterson, Registrar and Conference Manager, Aspen Ideas Festival, which is what the annual event is officially known as.
This year, the conference’s theme was: ‘Smart Solutions to the World’s Toughest Challenges.’ Presented by the Aspen Institute in partnership with The Atlantic magazine, the Aspen Ideas Festival is the nation’s premier, public gathering place for leaders from around the globe and across many disciplines to present and discuss ideas and challenging issues. Some 350 presenters, 200 sessions, and 3,000 attendees comprised the annual festival this year, in July.
“I don’t see Rahul Gandhi listed as a speaker in any Aspen related event, public or private, in the past or in the near future,” said Petersen in an interview to The American Bazaar.
Asked if Rose himself selects the guests for the annual meet, Petersen said that though in the past Rose has been a featured speaker at the event, the last time he himself participated at the annual meet, was in 2012.
Petersen also checked other Aspen events where Rahul Gandhi might be a speaker, but could not find his name in the database.
“There is nobody by that name featured in any Aspen event,” said Petersen.
The list of public events in the town of Aspen which has a population of over 6,000, reveals that the major events listed for the months of September and October are a film festival and other entertainment related programs.
George Abraham, chairman of a faction of the Indian National Overseas Congress, and based in New York, in an interview to The American Bazaar, said that he had “not been notified” of any visit by Rahul Gandhi to the United States.
“When I met Rahul Gandhi in October of last year in New Delhi, he had told me he was keen to meet the Indian Diaspora here. But we have not been notified of anything. We wanted him to come here to talk of the Congress ideology, but this is anyway not a good time to visit the US with prime minister Narendra Modi also on a visit,” said Abraham.
Asked if it was disturbing to him that the whereabouts of Gandhi is again in question, following a controversial and mysterious almost two months’ sabbatical he took earlier this year, Abraham said that he is “not disturbed” by it.
“Rahul Gandhi does not have any official responsibilities in India, so he could be here on a private visit,” said Abraham.
But asked why the Congress party would then in that case not clarify that, Abraham declined to comment.
Lavika Bhagat Singh, the President of the officially recognized Indian National Overseas Congress, and based in the Washington, DC, area, said in a phone interview that she was not aware if Rahul Gandhi was in the United States.
“I don’t know,” said Singh.
The question is: where is Rahul Gandhi?
If indeed he is in the ski resort of Aspen, one of the wealthiest real estate destinations in the US, what is he doing? If he is on a private visit, why would the Congress not disclose that?
(Sujeet Rajan is Editor-in-Chief, The American Bazaar)

रावण रजो गुण (एक्शन ) का प्रतीक है कुम्भकरण तमोगुण (अज्ञान,घोर -प्रमाद, आलस्य निद्रा)का प्रतीक है और विभीषण सतो गुण का। यही सत्व उसे भगवान राम की शरण में ले आता है। कंस रजो और तमो दोनों का मिश्र है।


मैं और मोर तोर ते माया ,


जेहि बस कीन्हें जीव निकाया।

ये कुब्जा कोई औरत नहीं है हमारी बुद्धि ही कुब्जा हो जाती है रजो और तमो गुणों के प्रभाव से। जब हम कृष्ण से विमुख होकर कंस से अभिमुख हो जाते हैं तब हमारी बुद्धि कुब्जा हो जाती है। भले भागवद्पुराण के दशम स्कंध में कुब्जा की कथा है लेकिन आध्यात्मिक अर्थों में कुब्जा और कोई नहीं मंथरा के संसर्ग से होने वाली कैकई की  कुबुद्धि है कुब्जा। 

कुब्जा का एक अर्थ है वक्र ,बाँकी ,टेढ़ी ,उलटी चाल चलने वाली।सदैव ही उलटा सोचने वाली बुद्धि ही कुब्जा है।

कथा है मथुरा के बाज़ार से कृष्ण और दाऊ  जी की जोड़ी गुज़रती है। कृष्ण के नथुनों में चंदन की सुवास प्रवेश करती हैभाव संसिक्त हो कृष्ण बलराम से कहते हैं दाऊ ये सुवास कहाँ  से आ रही है पास आकर देखते हैं एक स्त्री चांदी के पात्र में चंदन घिसा लिए बैठी है। यह स्त्री कुब्जा है क्योंकि इसको कुब्ब निकला हुआ है हंच-बेक है ये महिला जो कंस की दासी है नित्य उसके तमाम शरीर पर चंदन का लेप करती है। उसी के संसर्ग से इसकी बुद्धि कुब्जा हो गई है -रजो और तमो गुणों के प्रभाव क्षेत्र में कैद हो गई है।

कृष्ण इस महिला से पूछते हैं :हे  सुंदरी आप कौन हैं। महिला अभिभूत हो जाती है कहती है आपने मुझे सुंदरी कहा। सुंदरी तो तुम हो ही -कन्हैया बोले। मुझे तो आज तक किसी ने सुंदरी कहके सम्बोधित नहीं किया सब मुझे कुब्जा कहके मेरा मुंह बिराते हैं। वे लोग तुम्हारा शरीर देखते हैं मैं तुम्हारी आत्मा देख रहा हूँ। मेरा तुम्हारा जन्मों का नाता है। हाँ भगवन मुझे भी आपको देखकर यही लगता है मैं कई जन्मों से आपका ही इंतज़ार कर रही थी। बोले कृष्ण आज हमें चन्दन लगा दो। कुब्जा दोनों के लिए चांदी की चौकी बिछाती है और बीच बाज़ार में दोनों के माथे पे तिलक लगाती है कपोलों पर चंदन से फूल बनाती है।

भगवान खड़े होकर आहिस्ता से अपना एक पैर उसके एक पैर पर रखते है और अपनी दो उंगलिया उसकी ठोड़ी के नीचे रखकर बस एक हल्का सा झटका देते हैं। कुब्जा की झुकी हुई कमर सीधी हो जाती है भगवान के स्पर्श से उसके सब पाप शाप मिट जाते हैं वह परमसुंदरी के रूप में खिल उठती है।

कृष्ण के संपर्क में आकर अर्थात शुद्धसत्व से सम्पर्कित होने पर वह रजो और तमो गुणों के प्रभाव से मुक्त हो जाती है। हम इस त्रिगुणात्मक माया के जाल में ही फंसे रहते हैं -सतो ,रजो और तमो गुण -हर क्षण हमें  अपनी गिरिफ्त में लिए रहते हैं। ये ही असली करता हैं कर्म के। गीता में कहा गया है गुण ही गुणों को बरतते हैं अर्थात ये त्रिगुणात्मक प्रकृति ही करता है हम अपने आपको करता मान कर्तित्व अभिमान में आ जाते हैं। मेरा कर्म है ये मैंने किया है ये। ये मेरा है। ये मैं और मेरा ही तो माया है।

मैं और मोर तोर ते माया 

जेहि बस कीन्हें  जीव निकाया। 

हमारे भीतर हर क्षण किसी एक गुण  का प्राबल्य बना रहता है कोई एक गुण बाकी दो को दबाये हमने दबोच लेता है  बस वैसा ही कर्म हो जाता है।

रावण रजो गुण (एक्शन ) का प्रतीक है कुम्भकरण तमोगुण (अज्ञान,घोर -प्रमाद, आलस्य निद्रा)का प्रतीक है और विभीषण सतो गुण का। यही सत्व उसे भगवान राम की शरण में ले आता है। कंस रजो और तमो दोनों का मिश्र है।

Krishna Kubja Leela | Hunchbacked Woman Salvation

https://www.youtube.com/watch?v=nO_h6AESdfE


Courtesy: SagarArts Krishna, the supreme personality of God, tests Kubja and turns her into beautiful lady...