मित्रों!

आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं।

बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए।


फ़ॉलोअर

शुक्रवार, 14 मार्च 2014

लिखित या व्यक्त उदगारों से राह—पथिकअनजाना-515 वीं पोस्ट



        बुद्धिमान की पहचान शांत खोज निगाहें व मुस्कान
         वे लिखित या व्यक्त उदगारों से राह बना ही लेते हैं
         सोच व विचार अन्य के चिन्तक तो यह कहलाजाते
         नहीं सजाते दीवालों या आलों में न पूजते राहों को हैं
         मंथन कर अमृत कलश को छीन हासिल कर ले जाते
         दे गर ध्यान तू विचारों पर सुकर्म पुष्प खिल जाते हैं
         ये वे पुष्प जो कि न केवल दिन-रात रहते सुगन्धित
         सुराह पथगामियों को करते आकर्षित अमर सुगन्ध
         रहती कायम पहचान बुद्धिमान की महान पा जाते हैं
   

           पथिक अनजाना

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें